Waqf Board Act: हिंदू-मुस्लिम संगठन कानून में संशोधन पर आमने-सामने
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Waqf Board Act: हिंदू-मुस्लिम संगठन वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन मामले पर आमने-सामने

विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि वर्तमान वक्फ बोर्ड कानून संविधान विरोधी है क्योंकि यह एकतरफा असाधारण अधिकार देता है। कानून में परिवर्तनों का स्वागत है। वहीं Muslim personal Law Board ने कहा कि कानून में कोई बदलाव अनुमोदित नहीं है। विरोध में मुस्लिम संगठनों और INDIA गठबंधन से एकजुट होने की अपील की है।

केंद्र सरकार द्वारा मौजूदा वक्फ कानून में बदलाव करने की तैयारी ने हिंदू-मुस्लिम संगठनों में विवाद पैदा कर दिया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सरकार की इस कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि 2013 में मनमोहन सरकार ने वक्फ एक्ट में संशोधन करते हुए वक्फ बोर्ड को असाधारण, एकतरफा और मनमाना अधिकार दिए थे, जिसमें वह देश भर में किसी भी जमीन को अपना बता कब्जा कर सकता था।

वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वह सरकार द्वारा वक्फ कानून में किसी भी बदलाव को मान्यता नहीं देगा। साथ ही, उसने वर्तमान केंद्रीय सरकार पर मुस्लिमों से कुछ छीनने का आरोप लगाते हुए राजग के सहयोगी दलों, विपक्षी इंडी गठबंधन और देश के मुस्लिम धार्मिक संगठनों से एकजुट होकर इस मामले में विरोध करने का आह्वान किया है।

केंद्र सरकार की यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब विहिप समेत कई संगठन लंबे समय से मौजूदा वक्फ कानून को संविधान विरोधी बताते हुए उसे बदलने की मांग कर रहे हैं।

wihip ने क्या कहा?

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि वर्तमान वक्फ कानून संविधान के अनुरूप नहीं है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी व्यक्ति की जमीन पर अधिकार रख सकता है। मामला भी सिविल अदालत में नहीं सुलझाया जाएगा; इसके बजाय, संपत्ति मालिक को जमीन का मालिक होना चाहिए।

1400 साल पुराने मंदिर पर दावा

उनका दावा था कि तमिलनाडु में एक गांव में कोई मुस्लिम नहीं रहता है। गांव में एक १४०० साल पुराना मंदिर भी है, लेकिन वक्फ बोर्ड उस पर दावा करता है। कानून इस तरह के अनगिनत मामले को देखते हुए बदलना चाहिए। उन्हें उम्मीद थी कि पढ़ा-लिखा मुस्लिम समुदाय इस संशोधन से खुश होगा।

 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा प्रस्तुत अपील

वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIPLB) ने कहा कि वे वक्फ कानून में कोई बदलाव नहीं करेंगे। उसने देश के धार्मिक संगठनों और मुसलमानों से अपील की कि वे केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ एकजुट हों।

 

साथ ही, बोर्ड इस कार्रवाई को रोकने के लिए हर संभव कानूनी और लोकतांत्रिक उपाय अपनाएगा। उसने राजग के सहयोगी दलों और अन्य विपक्षी दलों से अपील की कि वे ऐसे किसी भी संशोधन या प्रस्ताव को संसद से बाहर कर दें।

मुसलमानों से छीन लिया जा रहा

संविधान और शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 भी वक्फ कानून और वक्फ संपत्तियों को बचाता है, बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलयास ने कहा। यही कारण है कि सरकार इस कानून में कोई बदलाव नहीं कर सकती, जिससे इन संपत्ति की प्रकृति या हैसियत ही बदल जाएं। उनका कहना था कि अब तक सरकार ने मुसलमानों के बारे में जितने भी निर्णय और कार्रवाई किए हैं, उनमें सिर्फ उनसे कुछ छीनने का काम हुआ है।

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