Increasing muscle strength can reduce the risk of type 2 diabetes

Increasing muscle strength can reduce the risk of type 2 diabetes
मांसपेशियों की ताकत बढ़ाकर टाइप 2 मधुमेह का जोखिम 44% तक घटाया जा सकता है: अध्ययन में दावा
नई दिल्ली, 10 अप्रैल — मधुमेह जैसी जटिल बीमारियों पर काबू पाने के लिए केवल दवाएं या जीवनशैली में बदलाव ही जरूरी नहीं, बल्कि एक मजबूत और सक्रिय शरीर भी इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। हाल ही में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि से टाइप 2 मधुमेह का जोखिम 44 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है, चाहे व्यक्ति की आनुवंशिक प्रवृत्ति इस बीमारी के लिए कितनी भी अधिक क्यों न हो।
यह अध्ययन हांगकांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया और इसमें यूके बायोबैंक के 1.4 लाख से अधिक प्रतिभागियों का डाटा विश्लेषण किया गया। यह अपने आप में अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है, जिसमें मांसपेशियों की ताकत, आनुवंशिक संवेदनशीलता और मधुमेह के बीच संबंध को समझने का प्रयास किया गया है।
मांसपेशियों की ताकत और मधुमेह के बीच संबंध
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों की मांसपेशियों की ताकत अधिक थी — जैसे कि उनकी पकड़ने की शक्ति (grip strength) बेहतर थी — उनमें टाइप 2 मधुमेह का खतरा उन लोगों की तुलना में काफी कम था जिनकी मांसपेशियां अपेक्षाकृत कमजोर थीं। यह अंतर तब भी स्पष्ट रूप से देखा गया जब प्रतिभागियों के आनुवंशिक जोखिम स्कोर (genetic risk score) को ध्यान में रखा गया।
टाइप 2 मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं, जिसके कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इस बीमारी का एक प्रमुख कारण चयापचय असंतुलन होता है, जो आंशिक रूप से अनुवांशिक कारकों पर निर्भर करता है। लेकिन अध्ययन यह दर्शाता है कि शारीरिक शक्ति और सक्रियता, विशेष रूप से मांसपेशियों की मजबूती, इस आनुवंशिक प्रवृत्ति को काफी हद तक मात दे सकती है।
व्यायाम और ताकत के अभ्यास का महत्व
शोधकर्ताओं का मानना है कि मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने वाले व्यायाम, जैसे वेट लिफ्टिंग, बॉडी वेट एक्सरसाइज (जैसे पुश-अप्स और स्क्वैट्स) और नियमित फिजिकल एक्टिविटी न केवल शरीर की ताकत बढ़ाते हैं, बल्कि यह इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार लाकर शरीर के चयापचय तंत्र को बेहतर बनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है और मधुमेह का जोखिम घटता है।
आनुवंशिक जोखिम को कैसे प्रभावित करती है ताकत?
अध्ययन में यह भी पाया गया कि ताकतवर मांसपेशियों वाले लोगों में मधुमेह की संभावना कम थी, चाहे वे अनुवांशिक रूप से इस बीमारी के प्रति संवेदनशील क्यों न हों। इसका अर्थ यह है कि शारीरिक गतिविधि और व्यायाम जैसे जीवनशैली कारक आनुवंशिक जोखिम को “ओवरराइड” कर सकते हैं।
यह निष्कर्ष उन लोगों के लिए आशाजनक है, जो अपने पारिवारिक इतिहास या आनुवंशिक रिपोर्ट के आधार पर मधुमेह के खतरे को लेकर चिंतित रहते हैं। अब यह स्पष्ट है कि एक सक्रिय जीवनशैली अपनाकर वे इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
यह अध्ययन इस दिशा में एक बड़ा कदम है कि कैसे जीवनशैली में किए गए छोटे-छोटे बदलाव, विशेष रूप से मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना, टाइप 2 मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि भविष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में ताकत आधारित प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए ताकि लोगों को अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त बनाया जा सके।
इसलिए, भले ही आपकी आनुवंशिक प्रवृत्ति मधुमेह के प्रति अधिक हो, मजबूत मांसपेशियां और नियमित व्यायाम इसे मात देने की पूरी क्षमता रखते हैं।
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