Diabetese : मोटापे आनुवांशिक कारक या खराब जीवनशैली के कारण मधुमेह
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मधुमेह के खतरे को कम करने के लिए जीवनशैली बदलना संभव बताया है। भारत में १० करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। यह महत्वपूर्ण है कि 13.6 करोड़ लोग प्री-डाइबिटिक हैं, यानी मधुमेह से पीड़ित हैं। ये लोग बहुत खतरनाक हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने दावा किया कि जीवनशैली में बदलाव करने से ५८ प्रतिशत लोग मधुमेह का खतरा टाल सकते हैं।
मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्रोनोलॉजी और अलबामा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि टाइप-2 मधुमेह के उच्च जोखिम में होने के बावजूद इससे काफी हद तक बचाया जा सकता है। इसके लिए जीवनशैली में दो बड़े बदलाव करने होंगे। एक आहार में बदलाव और दूसरा व्यायाम। ILTI जीवनशैली बदलाव है। यह शोध सप्ताह में 150 मिनट के व्यायाम की आवश्यकता है
शोधकर्ताओं ने कहा कि मोटापे, आनुवांशिक कारक या खराब जीवनशैली के कारण मधुमेह का खतरा अधिक होने वाले लोगों को सप्ताह में 150 मिनट, यानी पांच दिनों में कम से कम आधे घंटे का गहन व्यायाम करना चाहिए। इसके अलावा भोजन की मात्रा में बदलाव या कमी करना चाहिए। इसमें इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) की आवश्यकता होती है। 24 घंटे में इसमें आठ घंटे भोजन और 16 घंटे उपवास होता है। यह सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक भोजन देता है।
भारतीय जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च का ताजा अंक 10 करोड़ से अधिक देशों में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या बताता है।
टोटल डाइट रिप्लेसमेंट भी मधुमेह का खतरा कम करेगा ।
शोधकर्ताओं ने बताया कि टोटल डाइट रिप्लेसमेंट (टीडीआर) भी एक प्रक्रिया है जिसमें वैकल्पिक भोजन को अपनाया जाता है, जो मधुमेह की संभावना को 13.6 करोड़ लोगों में कम करता है जो प्री-डायबिटिक मधुमेह से पीड़ित हैं। इनमें फल, सब्जियां, साबूत अनाज, अप्रसंस्कृत चीनी और कम वसा वाला प्रोटीन (लीन प्रोटीन) शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग या टोटल डाइट रिप्लेसमेंट दोनों वजन कम करने में प्रभावी हैं और शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी बेहतर बनाते हैं।
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